वेल्डिंग किसे कहते है?
वेल्डिंग एक ऐसी परकिरिया है जिसके जरिए हम मेटल के दो भाग को एक साथ हीटिंग के जरिए, फोर्स के जरिए जोड़ सकते है और इस परक्रिया को हम वेल्डिंग कहते है, वेल्डिंग के जरिए जोड़ा हुआ कोई भी पार्ट को हम दोबारा से निकाल नही सकते क्योंकि जब किसी मेटल के पलेट के उपर या प्लास्टिक के उपर हम वेल्डिंग करेगे तो वो ठंडा होने पर बोहोत ही ज्यादा मजबूत हो जाती है।
आप की जानकारी के लिए बता दूं कि वेल्डिंग कोई नया आदमी नही कर सकता है क्योंकि इसको किसी ऐसे बंदे को करने के लिए बोला जाता है जो इस काम में बेहतरीन हो अब आप बोलोगे ऐसा क्यों तो मैं आप को बता दू की वेल्डिंग करने के लिए कई सारे तरीके होते है सिर्फ एक जैसा नही होता है जैसे की:-
1:- किनारा जोड़।
2:- टी जोड़।
3:- बट जोड़।
4:- लैप जोड़।
5:- कोने का जोड़ इत्यादि।
जिसमे से कुछ ऐसे वेल्डिंग के ज्वाइंट होते है जो बोहोत कठिन होते है जिसको आम वेल्डर नही कर सकता, खैर ये थी वेल्डिंग की बात अब बात करते है MIG वेल्डिंग की क्योंकि हम आगे आप को इसी के बारे में बताने वाले है।
मिग वेल्डिंग किसे कहते है?
"MIG वेल्डिंग" इसका शॉर्ट फॉर्म नेम है, इसका पूरा नाम Metal Inert Gas Welding है, जिसको हम वायर वेल्डिंग भी कहते है, आज के समय में मिग वेल्डिंग पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा यूज की जाने वाली वेल्डिंग है इसका इस्तेमाल बड़े फैक्ट्री, कारखानों, जहाजों और बड़े बड़े प्लांट में होता है।
क्योंकि ये और वेल्डिंग के मुकाबले बोहोत सस्ती और बोहोत ही ज्यादा मजबूत होती है जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल हर जगह होता है, पर इसमें एक बात और है अलग अलग धातु को अलग अलग कंडीशन में जोड़ने के लिए अलग अलग वेल्डिंग टेक्नीशियन का इस्तेमाल किया जाता है।
इसका भी वेल्डिंग करने का तरीका और वेल्डिंग की तरह आसान ही होता है, मतलब वेल्डिंग के अंदर लगे इलेक्ट्रोड किसी मैटेरियल के पार्ट को हीटिंग के जरिए जोड़ देते है इसके और भी प्रोसेस है जिसे हम आगे जानेंगे।
MIG Welding की कैसे तैयारी करते है?
ये बोहोत इंपोर्टेंट पार्ट है जो स्पेशली केवल इस वेल्डिंग के लिए नही बल्कि हर वेल्डिंग को करते समय हमे इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए जैसे की हमे सेफ्टी सूज पहने होना चाहिए ताकि वेल्डिंग का कोई टुकड़ा हमारे पैर पर गिरने से हमको नुकसान न करे, हाथो में ग्लब्ज रहना चाहिए ताकि कोई नुखिला लोहे का पार्ट हमारे हाथो को नुकसान न करे, चेहरे पर हेलमेट होना चाहिए जो बोहोत जरूरी होता है।
और इन सब के अलावा आप का कास्टूम उपर से नीचे तक ढका हो और उसके अंदर ऑक्सिजन आनी जानी चाहिए ताकि आप कंफर्ट महसूस करे और वेल्डिंग से निकलने वाली तरह तरह की गैसों से बच सके।
अब ये रही अपनी सेफ्टी की बात लेकिन हम जिस मेटल के उपर वेल्डिंग करने वाले है उसका भी सेफ्टी उतना ही जरूरी है जैसे की हम जिस मेटल के उपर weld करने वाले है उसके ऊपर कोई जंग न लगा हो, उसके ऊपर कोई ऑयल न लगा हो, उसको जंग साफ करने वाले पेपर से अच्छे तरीके से साफ कर ले ताकि वेल्डिंग करते समय हमको कोई दिक्कत न हो और अगर आप ये सारे प्रोसेस सही ढंग से कर लेते है तो आप की वेल्डिंग अच्छे तरीके से हो जायेगी।
MIG Welding कैसे काम करती है?
MIG Welding के अंदर एक इलेक्ट्रोड का वायर लगा हुआ रहता है जिसकी थिकनेस करीब 0.2 mm से लेकर 2.0 mm तक होती है, वैसे वो एक तरह का कंस्यूमेबल्स वायर होता है अब जो ये वायर होती है MIG Welding के आगे जो गन बनी होती है वहा गोल बंडल में गोलाकार सेफ में लिपटी हुई रहती है और जैसे ही वेल्डिंग अपना काम स्टार्ट करती है तो वेल्डिंग के आगे बनी गन के अंदर से इलेक्ट्रोड बाहर आते है जिसको गन के जरिए कंट्रोल किया जाता है, आप की जानकारी के लिए बता दे की MIG Welding को GMAW GAS METAL ARC WELDING भी बोलते है।
अगर हम MIG Welding को एकदम आसान भाषा में बोले तो जब कभी किसी भी मेटल को वेल्डिंग करना हो MIG के जरिए तो उसको इलेक्ट्रोड के जरिए मेटल पर करेंट के जरिए या फोर्स के जरिए नीचे पड़े मेटल पर डालते है और वो धीरे धीरे एक पुल के जैसा बनता चला जाता है और ठंडी होने पर वो एक ठोस और मजबूत मटेरियल के सेफ में बन जाता है जिसे हम मिग वेल्डिंग कहते है।
मिग वेल्डिंग का इतिहास।
मिग वेल्डिंग का इतिहास काफी पुराना है इसको साल 1940 में एल्यूमीनियम और नॉन फेरस मेटल के लिए बनाया गया था जो आगे चल कर इसमें कुछ और इंप्रूमेंट हुआ तो अलग अलग मेटल के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा, इसका सबसे बड़ा कारण ये था की इस वेल्डिंग को करते वक्त इसका बजट बोहोत कम होता और ऊपर से दूसरे वेल्डिंग के मुकाबले काफी फास्ट काम करता, साल 1950 से 1960 तक आते आते मिग वेल्डिंग or CO2 वेल्डिंग हर जगह फैक्ट्री, कारखानों में इस्तेमाल होने लगी।
मिग वेल्डिंग के परकार।
मिग वेल्डिंग कई परकार से यूज की जाती है जो कुछ इस तरह से है।
1.) ट्रांसफार्मर
2.) इन्वेटर
1.) ट्रांसफार्मर:- मिग वेल्डिंग के अंदर ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल तब करते है जब हम वेल्डिंग करते वक्त लाइट कम हो जाती तो वेल्डर ट्रांसफार्मर की मदत से इनपुट वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदल कर अपना काम कर सके, पर इसका इस्तेमाल भारी भरकम वेल्डिंग मशीन के लिए नही कर सकते।
2.) इन्वेटर:- मिग वेल्डिंग के अंदर इसका भी इस्तेमाल होता है इस वेल्डिंग को करने के लिए इसका प्रोसेस भी ट्रांसफार्मर की तरह सेम ही रहता है पर इसमें एक कॉमन होता है की इसका इस्तेमाल हम भारी भरकम मशीनों के लिए भी कर सकते है।
मिग वेल्डिंग में इस्तेमाल होने वाले पार्ट।
मिग वेल्डिंग के अंदर इस्तेमाल होने वाले कई सारे पार्ट होते है जो कुछ इस परकार से है, वेल्डिंग मशीन, वायर फीडर की जरूरत होती है, वेल्डिंग गन की जरूरत होती है, Flow Meter, Gas Cylinder, Welding Toch, Wire Spool etc
MIG Welding Advantages
1.) मिग वेल्डिंग को हम CO2 वेल्डिंग भी बोलते है।
2.) मिग वेल्डिंग से की गई वेल्डिंग औरों के मुकाबले काफी मजबूत और टिकाऊ होती है।
3.) मिग वेल्डिंग का प्रोसेस काफी फास्ट होता है।
4.) मिग वेल्डिंग से की गई वेल्डिंग में बोहोत ही कम डिफेक्ट आता है यानी एयर बोहोत ही कम बनती है।
5.) मिग वेल्डिंग को कई तरीकों से यूज में लाया जाता है जैसे की सेमी ऑटोमैटिक और फुल्ली ऑटोमैटिक।
6.) Smooth bead.
7.) No Electrode Stub Loss.
8.) Less Operator Skill Required.
9.) All Positions Capability.
MIG Welding Dis-Advantages
1.) MIG Welding को यूज करने के लिए कई सारे उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है।
2.) MIG Welding की डिजाइन बोहोत टफ होती है।
3.) MIG Welding जब वर्टिकल पोजिशन में होती है तो उसको वेल्ड करना बोहोत कठिन होता है।
4.) इस परकार की वेल्डिंग में ओवरहेड पोजिशन पर वेल्ड नही कर सकते।
5.) MIG Welding की मशीन और वेल्डिंग मशीनों के मुकाबले बोहोत मंहगी होती है।
Outro.
इसमें हमने MIG Welding किसे कहते है? | GMAW गैस मेटल आर्क वेल्डिंग क्या है? इन सब चीजों के बारे में डिस्कस किया है, इस टॉपिक को पूरा पढ़ने के बाद आप को ये अबतक क्लियर हो गया होगा की MIG Welding किसे कहते है और इसका इस्तेमाल कैसे होता है, अगर आप को अभी भी कुछ डाउट हो तो हमे नीचे जरूर से कमेंट कर के बताए हम उसे क्लियर कर के आप तक पहुंचने की कोशिश करेंगे, आप का बहुमूल्य समय देने के लिए बोहोत बोहोत धन्यवाद।
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